शिक्षा

विकसित भारत के लिए अंबेडकर के आर्थिक स्वतंत्रता का विचार महत्वपूर्ण: कुलपति

नव-बिहार समाचार, भागलपुर। भारत रत्न डॉक्टर भीमराव बाबासाहेब अंबेडकर की जन्म जयंती पर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय भागलपुर में राष्ट्रीय सेवा योजना एवं स्नातकोत्तर अंबेडकर विचार विभाग के संयुक्त तत्वाधान में एक वृहद कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में कुलपति प्रो जवाहर लाल, मुख्य वक्ता पूर्व कुलपति प्रो क्षेमेन्द्र सिंह, डीएसडब्ल्यू प्रो विजेंद्र कुमार, कुलानुशासक प्रो अर्चना साह, लोकपाल प्रो यू के मिश्रा, महाविद्यालय निरीक्षक प्रो संजय झा, मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो निरंजन यादव, एमबीए की निदेशक डॉ निर्मला कुमारी, विकास पदाधिकारी श्री अनिल कुमार सिंह, एनएसएस समन्वयक डा. राहुल कुमार, विभागाध्यक्ष डॉ संजय कुमार, रजक, डा रवि शंकर चौधरी, क्रीड़ा सचिव डा. संजय जयसवाल एवं अन्य ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का प्रारंभ किया। अतिथियों के स्वागत के बाद अवसर का परिचय कराते हुए डॉक्टर राहुल कुमार ने बताया कि यह अवसर विशेष है क्योंकि हम सभी तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के परिवार के सदस्य हैं । तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय की स्थापना संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद ( प्रथम राष्ट्रपति) के प्रयासों का परिणाम है तो दूसरी तरफ यह विश्वविद्यालय तिलकामांझी के नाम पर है जो सामाजिक न्याय के पुरोधा रहे हैं, इस प्रकार सामाजिक न्याय और संविधान दोनों के प्रतीक के रूप में जिन बाबा साहब को आज हम सभी स्मरण कर रहे हैं वह विश्वविद्यालय के लिए विशेष अवसर है । तत्पश्चात उद्घाटन सत्र में माननीय कुलपति ने विस्तार पूर्वक राष्ट्र निर्माण में अंबेडकर की भूमिका विषयक परिचर्चा में भाग लेते हुए अंबेडकर को महान युगदृष्टा मानवाधिकार आंदोलन के प्रणेता, संविधान निर्माता, अर्थशास्त्री, सामाजिक न्याय के पुरोधा, राजनेता, स्वतंत्रता सेनानी, मूर्धन्य विद्वान और विकसित भारत के लिए विचार पुंज के रूप में चिन्हित करते हुए कहा कि समानता, स्वतंत्रता और न्याय संविधान के तीन प्रमुख स्तंभ है। जब तक भारत देश रहेगा तब तक संविधान और रहेगा और जब तक संविधान रहेगा तब तक अंबेडकर रहेंगे अर्थात एक प्रकार से संविधान ने अंबेडकर को अमरत्व प्रदान किया है।
अनेकता में एकता के साथ राष्ट्र निर्माण सम्मान की भावना के साथ ही हो सकता है। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में परिचय चार सत्र को संबोधित करते हुए विषय प्रवेश टीवी महाविद्यालय के इतिहास के विद्वान डॉक्टर रविशंकर चौधरी ने विस्तार पूर्वक डॉ आंबेडकर के जीवन एवं दर्शन पर प्रकाश डाला तथा उन्हें वंचितों का मसीहा कर देते हुए कहा कि यह भारत भूमि धन्य है जिसने ऐसे महान विभूति को जन्म दिया तत्पश्चात मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए पूर्व कुलपति प्रोफेसर शैलेंद्र सिंह ने कहा कि मेरा हर रोम इस विश्वविद्यालय का ऋणी है, क्योंकि मैं 1960 के दशक से लगातार इस विश्वविद्यालय में छात्र से लेकर कुलपति तक के रूप में सक्रिय रहा हूं । मैं मानता हूं कि बाबा साहेब अंबेडकर के विचारों से ही राष्ट्र का पुनर्निर्माण किया जा सकता है, भारत एक राष्ट्र के रूप में प्राचीन राष्ट्र है लेकिन इसके पुनर्निर्माण एवं पुनर्निर्माण के द्वारा विकसित भारत का स्वप्न सामाजिक न्याय और सामाजिक समरसता के मार्ग से ही संपन्न होगा जो अंबेडकर के विचारों पर चलकर ही संभव है। इस अवसर पर कई छात्र-छात्राओं ने भी अपने विचार रखें अंत में कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए अंबेडकर विचार विभाग के अध्यक्ष डॉ संजय रजक ने अंबेडकर को वंचितों का मसीहा करार देते हुए उनके मार्ग ऊपर चलने के लिए छात्र-छात्राओं को प्रेरित किया।

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